अंतर्राष्ट्रीय मानक हिंदी पाठ्यक्रम परियोजना
वर्ष 2002-03 के दौरान विदेशी हिंदी शिक्षण विभाग को एक महत्वपूर्ण परियोजना का दायित्व सौपा गया। यह परियोजना अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विदेशी भाषा के रुप में हिंदी शिक्षण के मानकीकरण से जुड़ी हुई है। इस परियोजना की पृष्ठ भूमि में विद्वानों का यह विचार रहा है कि वर्तमानत: हिंदी के जो विविध पाठ्यक्रम विश्व के विभिन्न देशों के विभिन्न विश्वविद्यालयों में एवं विभिन्न संस्थाओं में चल रहें है उनमें एकरुपता लाना आवश्यक है एवं मानक पाठ्यक्रम का निर्माण भी आवश्यक है।
परामर्शदात्री समिति
- संरक्षक- उपाध्यक्ष, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
- अध्यक्ष- निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा
सदस्य-
- प्रो. वी.रा. जगन्नाथन (इंदिरागांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय)
- प्रो. माणिक गोविन्द चतुर्वेदी (पूर्व प्रो. केंद्रीय हिंदी संस्थान)
- प्रो. (श्रीमती) अन्विता अब्बी (जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय)
- प्रो. रमेश चन्द्र शर्मा (दिल्ली विश्वविद्यालय)
- डॉ. (श्रीमती) शोभा सत्यनाथ (दिल्ली विश्वविद्यालय)
- डॉ. विमलेश कांति वर्मा (दिल्ली विश्वविद्यालय)
- प्रो.सुनील कुमार श्रीवास्तव (उपसचिव हिंदी विदेश मंत्रालय)
- प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी (केंद्रीय हिंदी संस्थान, दिल्ली केन्द्र)
- प्रो. श्रीशचन्द्र जैसवाल (केंद्रीय हिंदी संस्थन, दिल्ली केंद्र)
- प्रो. (श्रीमती) चंद्रप्रभा (केंद्रीय हिंदी संस्थन, दिल्ली केंद्र)
- प्रो. अश्वनी कुमार श्रीवास्तव (केंद्रीय हिंदी संस्थान,आगरा)
- प्रो. (श्रीमती ) वशिनी शर्मा (केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा)
केंद्रीय पाठ्यक्रम निर्माण समिति
- प्रो. वी. रा. जगन्नाथन (अध्यक्ष)
- प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी (सदस्य)
- डॉ. विमलेश कांति वर्मा (सदस्य}
- प्रो. (श्रीमती) चंद्रप्रभा (सदस्य)
- प्रो. अश्वनी कुमार श्रीवास्तव (सदस्य)
- प्रो. (श्रीमती ) वशिनी शर्मा (संयोजिका)
इस परियोजना में विभागीय सदस्यों -डॉ. अरुण चतुर्वेदी (श्रीमती) मीरा सरीन, डॉ सुशीला थामस, डॉ. (श्रीमती) ज्योत्सना रघुंवशी, सुश्री वीना माथुर का पूर्ण सहयोग रहा। परियोजना के कम्प्यूरीकरण एवं टंकण में श्रीमती पूनम शर्मा व. आशु. का विशिष्ट सहयोग रहा एवं साथ-साथ श्री शिव प्रकाश शर्मा उ. श्रे. लि., श्री हरीश चन्द्र शर्मा,ल. श्रे. लि. आगरा सुश्री बिन्दु बहुगुणा, का. अधीक्षक, श्री मनसिज राय चौधरी,कम्प्यूटर प्रोग्रामर,श्रीमती रजनी, क. आशु. दिल्ली केंद्र का भी सहयोग रहा।
उद्देश्य
- विश्व के समान के हिंदी पाठ्यक्रमों का निर्माण।
- क्रेडिट पद्धिति के संदर्भ के पाठ्यक्रमों में समतुल्यता लाना।
- एक विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय में छात्र के जाने तथा क्रेडिट अंतरण के बारे में सुझाव देना।
- अध्ययन संबधी कार्यक्रम तैयार करना जिन्हें सभी विश्वविद्यालय अपनी स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरुप् अपना सकें।
- विश्व के विभिन्न विश्वविद्यालयों को इतनी छूट देना कि वे एक व्यापक रुपरेखा के अंतर्गत अपने लिए विशिष्ट पाठ्यक्रम बना सकें।
- परियोजना के सफलता पूर्वक कार्यान्वयन के लिए शिक्षण सामग्री निर्माण विभाग तथा शिक्षण प्रशिक्षण संबंधी कार्य योजना बनाना।